Hanuman ji ki Janam Katha | कैसे हुवा हनुमान जन्म

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हनुमान जी के भक्त Hanuman ji ki Janam Katha के बारे में जरुर जानना चाहते है. तो मेरी आज की यह पोस्ट Hanuman ji ki Janam Katha से जुडी है. जिसके माध्यम से मैं आप सभी को हनुमान जी के जन्म की पूरी कथा विस्तार से बताऊंगा.

Hanuman ji ki Janam Katha | कैसे हुवा हनुमान जन्म
Hanuman ji ki Janam Katha | कैसे हुवा हनुमान जन्म

मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन होता है. और हनुमान जी के भक्तो की संख्या भी अनगिनत है. हनुमान जी भगवान शिव के ही एक रूप है. अपनी इस पोस्ट के माध्यम से हम हनुमान जी के जन्म से जुडी पूरी जानकारी प्राप्त करेगे. ताकि हनुमान जी के भगतो को Hanuman ji ki Janam Katha का पता चल सके.

Hanuman ji ki Janam Katha

वेदों पुराणों के अनुसार Hanuman ji ka जन्म चेत्र मंगलवार के दिन प्रुनिमा और मेष में हुवा था. हनुमान जी के पिता का नाम वानर राज केसरी था. और हनुमान जी की माता का नाम केसरी था. रामचरितमानस के अनुसार हनुमान जी जन्म ऋषियो के द्वारा दिए गये वरदान से हुवा था.

कथा के अनुसार एक बार वानरराज केसरी प्रसार तीर्थ के पास पहुचे. तो उन्होंने समुन्द्र किनारे ऋषियों को पूजा करते हुवे देखा. तभी वहा एक विशालकाय हाथी उन ऋषियों के पास आता है और उनकी पूजा में खलल डालता है. सभी ऋषि उस हाथी से बहुत परेशान हो गये थे.

पर्वत के शिखर पर बेठे वानरराज केसरी यह द्रश्य देख रहे थे. यह द्रश्य देखकर वो तुरंत ही निचे आये और उस विशालकाय हाथी के दात तोड़कर उसे मार दिया. वानरराज केसरी के इस बल को देखकर ऋषिगण बहुत प्रसन्न हुवे. और वानरराज केसरी की इक्झा के अनुसार उन्हें पवन के समान पराक्रमी, रूप बदलने वाला तथा रूद्र के समान पुत्र का वरदान दिया.

Hanuman ji ki Janam Katha | कैसे हुवा हनुमान जन्म

एक अन्य कथा के अनुसार Hanuman ji ki Janam Katha इस प्रकार है. माता अंजली एक दिन मानव रूप धारण करके पर्वत के शिखर की और जा रही थी. उस टाइम सूरज डूब रहा था. माता अंजली डूबता सूरज देखने लगती है. उसी समय तेज हवा चलने लगती है. तेज हवा चलने से माता अंजली के वस्त्र उड़ने लगते है.

हवा तेज होने के कारण माता अंजली ने चारो तरह देखा की कोई उन्हें देख तो नहीं रहा. लेकिन उन्हें दूर दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दिया. इंतनी तेज हवा में माता अंजली को पेड़ के पत्ते भी हिलते हुवे नहीं दिखा. तब माता अंजली को लगा यह काम कोई मायावी दानव कर रहा है. ऐसा सोचकर माता अंजली को क्रोध आया. और उन्होंने कहा कौन है वो जो एक स्त्री का अपमान कर रहा है.

तब पवन देव प्रकट हुवे और माता अंजली से माफ़ी मांगने लगे. उन्होंने बोला ऋषियों ने आपके पति वानरराज केसरी को मेरे समान पराक्रमी पुत्र का वरदान दिया है. इसलिए मैं आपके शारीर को स्पर्श करने के लिए विवस हु. मेरे द्वारा स्पर्श करने से ही आपको एक पराक्रमी पुत्र पैदा होगा.

पवन देव ने यह भी बोला कि मेरे स्पर्श से भगवान रूद्र आपके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे. तो इस तरह वानरराज केसरी और माता पार्वती के यहाँ भगवान शिव जी ने हनुमान जी का जन्म हुवा.

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