Shardiya Navratri Ki Katha | नवरात्र क्यों बनाये जाते है

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Shardiya Navratri Ki Katha के बारे में आप सभी लोग जरुर जानना चाहते होंगे कि आखिर नवरात्र क्यों बनाये जाते है. मेरे आज के इस भक्ति के आर्टिकल के द्वारा आप सभी को Shardiya Navratri Ki Katha की पूरी जानकारी हिंदी में मिलने वाली है.

Shardiya Navratri Ki Katha
Shardiya Navratri Ki Katha

नवरात्रों के बारे में तो आप सभी लोग जरुर जानते होंगे. हर साल इन नवरात्रों पर आप लोग उपवास भी रखते होंगे. हर साल श्राद खतम होते है शारदीय नवरात्री शुरू हो जाते है. इस साल Shardiya Navratri 7 October से शुरू हो रही है और 13 October को खत्म हो रही है. Shardiya Navratri Ki Katha or नवरात्र क्यों बनाये जाते है, इस से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे.

Shardiya Navratri Ki Katha

Shardiya Navratri का क्या महत्व है?

हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार, शारदीय नवरात्री में भगवती दुर्गा माता की पूजा का स्रेस्ट समय होता है. शारदीय नवरात्रों के पवन दिनों में हर दिन अलग अलग देवी के रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रों से जुडी अलग अलग कथाए हम लोगो के बिच मोजूद है. अपनी इस पोस्ट के द्वारा में आपको 2 कथाए बताऊंगा.

Shardiya Navratri Ki पहली Katha के अनुसार महिषासुर नाम का एक बलवान दानव था. जो कि ब्रह्मा जी का सच्चा भक्त था. महिषासुर ने अपने बल से ब्रह्मा की को खुश करके एक वर्धन प्राप्त किया था. ब्रह्मा जी को खुश करके उसने वरदान माँगा की प्रथ्वी पर रहना वाला कोई भी मनुष्य, देव या दानव उसे मार ना सके. ब्रह्मा जी ने महिषासुर को उसकी इक्झा के अनुसार उसे वरदान दे दिया.

वरदान पाकर महिषासुर बहुत निर्दयी हो गया. और तीनो लोको में अपनी ताकत से आतंक मचाने लगा. महिषासुर के आतंक से परेशान होकर सभी देवी देवता ने ब्रह्मा विष्णु महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति के रूप में दुर्गा माता को जन्म दिया.

Shardiya Navratri Ki Katha Hindi Me

दुर्गा माता और महिषासुर के बिच 9 दिन तक भयंकर युद्ध हुवा. और दसवे दिन दुर्गा माता ने महिषासुर का वध कर दिया. महिसासुर के वध में दुर्गा माता के अलग अलग रूप के दर्शन भी हुवे. माता दुर्गा के अं अलग अलग रूप की पूजा नवरात्रों में होती है. और दसवे दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में बनाया जाता है.

Shardiya Navratri Ki दूसरी Katha इस प्रकार है. भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले रावण के साथ होने वाले युध में जीत के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की आराधना की थी. रामेश्वर में उन्होंने 9 दिन तक माता शक्ति के अलग अलग रूपों की पूजा की थी.

भगवान श्रीराम की आराधना से खुश होकर देवी भगवती ने उन्हें लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया. दसवे दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की. और यह दिन वजह दशमी के नाम से बनाया जाता है.

Shardiya Navratri Ki अलग अलग रूपों के नाम

नवरात्रों में देवी के 9 अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है. देवी के अलग अलग रूपों के नाम मैं आपको निचे दे रहा हु.

  • पहला दिन माँ शैलपुत्री
  • दूसरा दिन माँ ब्रहमचारिणी
  • तीसरा दिन माँ चन्द्रघंटा
  • चोथा दिन माँ कुष्मांडा
  • पाचवा दिन माँ स्कंदमाता
  • छठा दिन माँ कात्यायनी
  • सातवा दिन माँ कालरात्रि
  • आठवा दिन माँ महागौरी
  • नोवुवा दिन माँ सिद्विदात्री

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