Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha

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ॐ नमः शिवाय Bhagwan Shiv Ke Janam कर कोई जानना चाहता है। आखिर भगवान सही की उत्पत्ति कैसे हुई। सभी के प्यारे भगवान शिव स्वयंभू है. यानी भगवान शिव का जन्म नहीं हुवा है। वो तो अनादिकाल से स्रष्टि में है। फिर भी Bhagwan Shiv Ke Janam से जुडी अलग अलग कथा हम लोगो के बिच मोजूद है।

Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha
Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha

हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा पूजने वाला भगवान शिव महादेव है। शिव को देवो का देव महादेव भी बोला जाता है। भगवान शिव के अनेको नाम है। भगवान शिव के अलग अलग नाम से अलग अलग जगह मंदिर है। जहा हर साल लाखो करोडो लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए जाते है।

Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha

हमारे हिन्दू धर्म में शिवलिंग की पूजा को बहुत ही अहम माना जाता है। शिव का अर्थ है – कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है. स्रजन. हमारे भारत में अलग अलग स्वरूप में शिवलिंग मोजूद है। जिनके दर्शन करने मात्र से हमारे जीवन में एक अलग ही आनंद आ जाता है। भगवान शिव के भगतो के मन में अक्सर ये ही विचार आता है।

कि आखिर Bhagwan Shiv Ke Janam कैसे हुवा। अलग अलग पुराणों में भगवान सही के जन्म से जुडी अलग अलग कथा मोजूद है। किसी पुराण में लिखा है भगवान शिव भगवान विष्णु के तेज से उत्पन् हुवे है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि से प्रकट हुवे। और भगवान शिव विष्णु के माथे के तेज से पैदा हुवे।

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के तेज से उत्पन्न होने के कारण भगवान शिव हमेशा योग मुद्रा में रहते है। विष्णु पुराण में Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha बाल रूप में मोजूद है। कथा के अनुसार ब्रह्मा जी को एक बालक की जरूरत थी। बालक को प्राप्त करने के लिए उन्होंने तपस्या की, उसके बाद उनकी गोद में बालक शिव रोते हुवे प्रकट हुवे।

Bhagwan Shiv ki Katha

बालक को रोता हुवा देखकर ब्रह्मा जी ने बालक से रोने के कारण पूछा। तो बालक ने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया, उनका कोई नाम नहीं है इसलिए वो रो रहे है। तब ब्रह्मा जी ने शिव जी का नाम रूद्र रखा। रूद्र का अर्थ है रोने वाला। नाम दिए जाने के बाद भी बालक का रोना बंद नहीं हुवा।

इसके बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें दूसरा नाम दिया। लेकिन भगवान शिव को नाम पसंद नहीं आया और उनका रोना भी बंद नहीं हुवा। इस तरह बालक शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हें 8 नाम और दिए। ब्रह्मा जी द्वारा दिए गये इन 8 नामो से भी शिव भगवान को पुकारा जाता है।

ठीक इसी तरह विष्णु पुराण में Bhagwan Shiv Ke Janam ki एक और Katha है। जो इस प्रकार है. कथा के अनुसार जब पाताल, आकाश, धरती समेत सब कुछ जल्मंग था। तब ब्रह्मा, विष्णु, महेश (शिव) के आलावा कोई भी प्राणी मोजूद नहीं था। उस टाइम केवल भगवान विष्णु ही शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे।

तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुवे। उसके बाद किसी बात को लेकर ब्रह्मा जी और विष्णु जी में बहस सुरु हो गयी. तब एक ज्युति में से भगवान शिव प्रकट हुवे। और ब्रह्मा जी और विष्णु जी के विवाद हो हल किया। इस पूरी कथा का विवरण आप निचे दिए गये विडियो में देख सकते है।

निचे मैं आपको शिव महापुराण का वो विडियो दे रहा हु। जिसमे पूरा बताया गया है कि किस प्रकार इस प्रथ्वी पर मानव का जन्म हुवा। मुझे उम्मीद है मेरे द्वारा दिए गये विडियो को देखकर आप सभी लोगो को Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha का विस्तार से पता चलेगा। ॐ नमः शिवाय हर हर महादेव

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Shiv Mahapuran ki Bhagwan Shiv Ke Janam ki Katha
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