Ganesh Ji ki Katha – कैसे पड़ा गणेश नाम?

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ॐ गणेशाय नमः – इस वेबसाइट की पहली शुरुआत Ganesh Ji ki Katha से ही होगी. क्युकी हर शुभ काम में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश की जी पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है. इस से जुडी जानकारी भी हम इसी पोस्ट में प्राप्त करेंगे.

Ganesh Ji ki Katha
Ganesh Ji ki Katha

आप अपने घर में या मंदिर में जो भी पूजा करते हो. क्या आपको मालूम है किसी भी भगवान की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है. और सबसे पहले गणेश जी की पूजा होनी चाहिए ऐसा क्यों होता है. इसकी पूरी कथा क्या है.

तो अब हम Ganesh Ji ki Katha के माध्यम से ये ही समझेंगे कि आखिर Ganesh Ji का जन्म कैसे हुवा. और उनका नाम Ganesh Ji कैसे पड़ा. साथ ही साथ उनके सर पर जो मुख लगा है. वो किस कारण से आया.

Ganesh Ji ki Katha – गणेश जी की उत्पति कैसे हुई ?

Ganesh Ji ki Katha में सबसे पहले हम गणेश जी की उत्पति की बात करेंगे. गणेश जी की उत्पति को लेकर अलग अलग तरह की कथाए है. लेकिन यहाँ मैं आपको जो कथा बता रहा हु. वो कथा शिव महापुराण में मोजूद है. और उसी कथा से ज्ञान प्राप्त करके मैं आप लोगो को जानकारी दे रहा हु. ताकि आप तक सही जानकारी पहुचे.

गणेश जी की उत्पति की कथा कुछ इस प्रकार है. एक बार माता पार्वती ने शिव भगवान के गन नंदी को किसी कार्य को करने के लिए बोला. लेकिन किसी कारण से नंदी द्वारा उस कार्य को मना कर दिया गया. जिसकी वजह से माता पार्वती को बहुत दुःख पंहुचा. और उन्होंने मन में ठाना की वो एक ऐसा पुत्र प्राप्त करेगी. जो उनकी हर आज्ञा मानेगा और उनकी रक्झा करे.

ये ही सोचकर माता पार्वती ने अपने शरीर के मेल और उपटन से एक पुत्र को जन्म दिया. माता पार्वती के इस पुत्र की जानकारी केवल माता पार्वती को ही थी. ओर किसी को भी इस पुत्र की जानकारी नहीं थी यहाँ तक की शिव भगवान को भी नहीं. माता पार्वती द्वारा पुत्र को जन्म देने के बाद माता पार्वती उसे आदेश देकर स्नान करने चली जाती है.

माता पार्वती द्वारा गणेश जी को यह आज्ञा दी जाती है कि जब तक मैं स्नान कर रही हु तब तक किसी को भी अन्दर आने मत देना. माता पार्वती द्वारा दिए गये आदेश को मानकर भगवान गणेश पहरा देने के लिए गेट पर खड़े हो जाते है.

उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आते है. लेकिन जैसे ही वो अन्दर जाने की कोसिस करते है. तो गेट पर मोजूद भगवान गणेश उन्हें रोक लेते है. गणेश द्वारा भगवान शिव को रोके जाने पर भगवान को क्रोध आ गया. गणेश जी और भगवान शिव के बिच बहुत बहसबाजी हुई. लेकिन गणेश जी ने शिव भगवान की एक ना सुनी. और शिव भगवान को अन्दर नहीं जाने दिया.

उसके बाद भगवान सही को इतना ज्यादा क्रोध आया कि उन्होंने गणेश जी का सर धड से अलग कर दिया. इतने में ही माता पार्वती बहार आ गयी. और गणेश जी को मरा हुवा देखकर रोने लगी. और उन्होंने भगवान शिव को बताया कि उन्होंने इस पुत्र की उत्पत्ति की है. अगर आपने इसे दुबारा जीवनदान नहीं दिया तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा.

माता पार्वती द्वारा प्रधना करने के बाद और सब कुछ जानने के बाद भगवान शिव का गुस्सा शांत हुवा. और उन्होंने माता पार्वती को प्रसन करने के लिए गणेश भगवान के सिर पर हाथी के बच्चे का सिर लगाकर गणेश भगवान को दुबारा जीवन दान दिया. जीवन दान देने के बाद उनका नाम गजानन और गणेश रखा.

इसके साथ ही भगवान शिव ने यह भी बोला कि किसी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की Puja सबसे पहले की जाएगी. यहाँ तक की अगर कोई भगवान शंकर की पूजा भी करेगा तो उस पूजा से पहले भी भगवान गणेश की पूजा की जाएगी. अगर कोई ऐसा नहीं करेगा तो वो पूजा अधूरी रहेगी.

इसलिए हर शुब काम से पहले भगवान गणेश की स्तुति की जाती है. तो मैंने भी आज सबसे पहले Ganesh Ji ki Katha के माध्यम से आप लोगो के बिच भगवान गणेश की कथा को विस्तार से बताया. उम्मीद है आपको Ganesh Ji ki Katha जरुर पसंद आई होगी. और आपको ज्ञान भी प्राप्त हुवा होगा.

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