Year 2022 Sankashti Chaturthi Puja Vidhi

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Welcome to My Latest Year 2022 Sankashti Chaturthi Puja Vidhi Article. पूजा पाठ के इस आर्टिकल में आपको Year 2022 Sankashti Chaturthi Puja Vidhi की पूरी जानकारी मिलने वाली है. ताकि आप सभी लोग संकष्टी चतुर्थी को सही तरीके से बना सको और उसका फल प्राप्त कर सको. तो चलिए सुरु करते है अपना आज का यह संकष्टी चतुर्थी पूजा से जुड़ा आर्टिकल.

Year 2022 Sankashti Chaturthi Puja Vidhi
Year 2022 Sankashti Chaturthi Puja Vidhi

जैसा कि आप सभी को मालूम ही है हमारे हिन्दू धर्म में अनेको ऐसे त्यौहार है जिनका इन्तजार सभी भक्तो को होता है. ताकि वो उस त्यौहार को सही तरीके से बना सके. लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे भी होते है जिनके बारे में हमे जानकारी नहीं होती. और हम उस त्यौहार के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है. मेरी यह वेबसाइट इसलिए तेयार की गयी है ताकि आप सभी लोगो को त्यौहार से जुडी सही जानकारी प्राप्त हो सके.

Year 2022 Sankashti Chaturthi Puja Vidhi

तो अपने आज के इस आर्टिकल के द्वारा मैं आप सभी को एक ऐसे ही दिन के बारे में बताने वाला हु जिसके बारे में आप में से बहुत से लोग पता करना चाहते है. मेरा यह आर्टिकल संकष्टी चतुर्थी से जुड़ा है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 21 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को पड़ रही है.

संकष्टी चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित होती है। जिसका मतलब होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’। महीने में दो चतुर्थी आती है, लेकिन पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को अर्थात कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इसके अलावा इसे द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है।

भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में संकष्टी चतुर्थी का व्रत बड़े ही धूम धाम से किया जाता है। गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है और हर शुभ कार्य से पहले उन्हें ही पूजा जाता है। इसीलिए इस दिन व्रत रखने वालों के गणेशजी हर दुख दर्द हर लेते हैं।

इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से भगवान गणेशजी की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु और खुशहाली के लिए भगवान गणेश का पूजन करती हैं और उपवास रखती हैं।

आइए अब जानते है Sankashti Chaturthi Puja Vidhi के बारे में

Sankashti Chaturthi Puja Vidhi – Sankashti Chaturthi के दिन सुबह स्नान करके साफ हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें। उसके बाद भगवान गणपति के चित्र को लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें। भगवान श्री गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करें। अब भगवान गणपति के सामने दीया जलाएं और लाल गुलाब के फूलों से भगवान गणपति को सजाएं।

पूजा में रोली, मोली, चावल, दुर्वा, चंदन, फूल और तांबे के लौटे में जल अर्पित करें। प्रसाद के रूप में तिल के लड्डू, गुड़, केला और मोदक चढ़ाए जा सकते हैं। भगवान गणपति के सामने धूप दीप जलाकर उनकी विधिवत पूजा करें और दिन भार व्रत का पालन करें। फिर शाम के समय भगवान गणेश की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाए और व्रत कथा पढ़ें। इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत पारण करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है.

इस विधि से पूजा करने से भगवान गणेशजी आपके सारे दु:ख दर्द हर देंगे। तो आइए अब जानते है कि संकष्टी चतुर्थी के क्या करें और क्या ना करें।

इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करते समय गणेश जी की आरती, मंत्र और गणेश चालीसा का पाठ करें और भगवान श्री गणेश की पूजा के दौरान संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की कथा अवश्य पढ़ें अथवा सुनें।

इसी के साथ गणेश जी को शमी का पत्ता या बेलपत्र अर्पित करें। जिन व्यक्तियों का इस दिन व्रत होता है वे केवल फल, साबूदाना, मूंगफली और आलू ग्रहण करें। इसी के साथ अब जानेंगे कि व्रत के दौरान हमें किन-किन बातों का विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए। भगवान गणेशजी को तुलसी कभी नहीं चढ़ाई जाती है। इसलिए इस दिन भी आप गणेशजी को तुलसी ना चढ़ाएं। संकष्टी चतुर्थी के दिन किसी की बुराई ना करें, किसी स्त्री का अपमान ना करें।

गणेश जी के जन्म की कथा

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