Chaitra Navratri 2022 Puja Vidhi Hindi Me. अगर आप सभी लोग Chaitra Navratri 2022 Puja Vidhi की जानकार Hindi Me प्राप्त करना चाहते हो, तो मेरे आज के इस आर्टिकल के द्वारा आप सभी भक्तो को चैत्र नवरात्री 2022 की पूरी जानकारी प्राप्त होगी। ताकि आप सभी लोग इस साल सही तरीके से नवरात्री के इस पर्व को मना सको।
जैसा कि आप सभी को मालूम ही है हर साल हमारे बिच 2 बार नवरात्रों का त्यौहार आता है। नवरात्री का त्यौहार हमारे बिच तब ही आता है, जब हमारे बिच मोसम में बदलाव होता है। यानी जब गर्मी का मोसम खतम होता है, और सर्दी के मोसम का आगाज होता है। तो शारदीय नवरात्रे आते है। और जब सर्दी का मोसम खत्म होकर गर्मी के मोसम का आगाज होता है तो हमारे बिच Chaitra Navratri आती है. तो अपनी इस पोस्ट के माध्यम से हम सभी Chaitra Navratri 2022 की बात करेंगे.।
चेत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चेत्र मास में बनाई जाती है। इस साल 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे इन 9 दिनों का हिंदू धर्म विशेष महत्व है। चेत नवरात्रि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है, 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। क्योंकि यह 9 दिन चैत्र महीने में पढ़ते हैं, इसलिए इसे चेत्र नवरात्रि भी कहा जाता है। पंचायत के अनुसार इस साल 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चेत नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान विधि विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी नवरात्रि में बहुत से लोग भी करते हैं।
Chaitra Navratri Ki अलग अलग रूपों के नाम
नवरात्रों में देवी के 9 अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। देवी के अलग अलग रूपों के नाम मैं आपको निचे दे रहा हु।
पहला दिन माँ शैलपुत्री
दूसरा दिन माँ ब्रहमचारिणी
तीसरा दिन माँ चन्द्रघंटा
चोथा दिन माँ कुष्मांडा
पाचवा दिन माँ स्कंदमाता
छठा दिन माँ कात्यायनी
सातवा दिन माँ कालरात्रि
आठवा दिन माँ महागौरी
नोवुवा दिन माँ सिद्विदात्री
नवरात्रि में कलश स्थापना या घट स्थापना करने का बहुत महत्व होता है। इस तरह की 9 दिन तक पूजा की जाती है। अखंड ज्योति जलाई जाती है। कलश को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, इसलिए मां दुर्गा की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है। कलश स्थापना करके ही सभी देवताओं का आह्वान किया जाता है। इसके बाद Chaitra Navratri 2022 के 9 दिन की व्रत की शुरुआत होती है।
कलश स्थापना के लिए आपको मिटटी का कलश और पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, गंगाजल, आमलिया, अशोक के पत्ते, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा और फूल की आवश्यकता होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना से पहले जहा आपको कलश रखना है, उस जगह को अच्छी तरह साफ़ कर लीजिये। और उस जगह लाल कपड़ा बिछा दिया जाता है।
इसके बाद कपड़े पर कुछ चावल रख दें। जो कि मिट्टी की चौड़े बर्तन में बो दे, अब आप इस पर पानी भरा कलश रखे। कलश पर कलावा बांधे और कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षर डाले. इसके बाद उपर लाल चुनरी में लपेटे हुवे नारिरल को कलश के उपर रखे। और इसके बाद अशोक या आम के पत्ते रखें। फिर मां दुर्गा का ध्यान करें इसके बाद दीप जलाकर पूजा शुरू करें।
निचे दिए गये मंत्र को आपको पूजा के समय बोलना है, ताकि आपको पूजा का सही फल प्राप्त हो सके। और इस मंत्र को बोलकर पूजा में बेठे सभी मेंबर पर गंगाजल का छिडकाव भी करना है।
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वधा नामो स्तुते ।।