Day 6 Maa Katyayani देवी कात्यायनी महिमा और आरती
Day 4 Maa Katyayani -देवी कात्यायनी महिमा और आरती। मेरा आज का ये आर्टिकल Maa Katyayani देवी कात्यायनी महिमा और आरती से जुड़ा है। जिसके माध्यम से मैं आप सभी को नवरात्रों के सुभ अवसर पर नवरात्रों पर पूजने वाली सभी देवियों के बारे में विस्तार से बताऊंगा। ताकि आप लोग सही तरीके से नवरात्री के पर्व को बना सको।
ॐ भूर्भुवः स्वः कात्यायनी इहागच्छ इहतिष्ठ। कात्यायन्यै नमः । कात्यायनीमावाहयामि स्थापयामि नमः ।। पाद्यादि पूजनम्बिधाय ।। ॐ सुखानन्दकरीं शान्तां सर्वदेवैर्नमस्कृताम् । सर्वभूतात्मिकां देवी शाम्भवीं पूजयाम्यहम् ।।
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार नवरात्री में भगवती दुर्गा माता की पूजा का स्रेस्ट समय होता है। नवरात्रों के पावन दिनों में हर दिन अलग अलग देवी के रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नो रूप होते हैं दुर्गा जी छठे स्वरूप में Maa Katyayani के नाम से जानी जाती है। यही नवदुर्गा में छठी दुर्गा है। नवरात्रों के दिन हमे सही तरीके से पूजा करनी चाहिए। ताकि हुए उस पूजा का सही फल प्राप्त हो सके।
अपने आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आप सभी को नवरात्री वाले छठे दिन पूजने वाली देवी Maa Katyayani की जानकारी देने वाला हु। ताकि आप नवरात्री के दुसरे दिन पूजने वाली Maa Katyayani की पूजा सही तरीके से कर सको। अपने इस आर्टिकल के द्वारा में आप सभी को माँ कात्यायनी की जानकारी देने वाला हु। अगर आपको नवरात्रों पूजा की पूरी जानकारी चाहिए तो आप यहाँ क्लिक करके मेरी पोस्ट देख सकते है। अपनी पोस्ट के अन्दर मैं विस्तार से पूजा के बारे में सब कुछ बताया हुवा है।
मां दुर्गा के छठे रूप में मां कात्यानी के रूप से पूजा जाता है महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थी। महर्षि कात्यायन ने इनका पालन पोषण किया इसलिए इनको कात्यायनी कहा गया ।
माँ कात्यायनी का सवरूप अत्यंत दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है ये अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती है इनकी चार भुजाएं भक्तों को वरदान देती है इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में कमल का फूल है
मां कात्यायनी की भक्ति साधक को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारो फल प्रदान करती है। व्यक्ति इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। ऐसा साधक शोक, संताप, भय से मुक्त होता है तथा सवर्था के लिए उसके कष्टों का अंत होता है कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती है। आय के साधनों में वृद्धि होती है और उसका रो को रोजगार मिलता है।
Maa Katyayani स्लोक
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी।।
Maa Katyayani Aarti
जय जय अंबे जय कात्यायनी। जय जगमाता जग की महारानी ।। वैजनाथ स्थान तुम्हारी । वहां वरदानी नाम पुकारा ।। कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है।। हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी ।। हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्तों है कहते।। कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की।। झूठ मोहे से छुड़ाने वाली। अपना नाम जपने वाली।। बृहस्पति को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धारियों।। हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।। जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
उपर मैंने आपको विस्तार से Day 1 Maa Katyayani -देवी कात्यायनी महिमा और आरती के बारे में बताया है। इसके साथ ही मैंने आपको Maa Katyayani Puja Mantra भी दिया है। ताकि आप लोग बिलकुल सही तरीके से नवरात्री वाले दिन सभी नो देवियों की पूजा पाठ सही तरीके से कर सको। मेरी इसी वेबसाइट पर आपको सभी नो देवियों की पूजा पाठ से जुडी पूरी जानकारी विस्तार से मिल जाएगी। और अगर आपको ये जानकारी पसंद आये तो इस वेबसाइट को अपने दोस्तों के बिच जरुर शेयर करिए।