Welcome to My Latest 2022 Amalaki Ekadashi Puja Vidhi Article. अगर आप सभी लोग Amalaki Ekadashi व्रत Puja Vidhi की जानकारी प्राप्त करना चाहते हो तो मेरा आज का ये आर्टिकल आप लोगो के लिए ही है. अपने आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आप सभी को आमलकी एकादशी पूजा विधि की पूरी जानकारी Step by step देने वाला हु.
आमलकी एकादशी व्रत इस साल 13 मार्च, 2022 (रविवार) को पड़ रहा है. यह एक ऐसा व्रत जिस पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति मिलती है । तो आइए जानते है इस Amalaki Ekadashi Puja Vidhi के बारे में संपूर्ण जानकारी। वैसे तो हिंदू धर्म में कई व्रत आते है, लेकिन एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि हर एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, जो कि महीने में दो बार आती है।
2022 Amalaki Ekadashi Puja Vidhi
लेकिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे आमलकी एकादशी कहते है। इस दिन जो व्यक्ति पूरी विधि-विधान से व्रत का पालन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आमलकी का मतलब आंवला से होता है। पद्म पुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु का प्रिय वृक्ष माना जाता है। इस वृक्ष में श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास होता है। जिस कारण से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन आंवले का उबटन लगाने, आंवले के जल से स्नान करने, आंवला पूजन करने, आंवले का भोजन करने और आंवले का दान करने की सलाह दी जाती है।
आइए अब जानते है आमलकी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त – एकादशी तिथि का प्रारंभ – 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 21 मिनट से और एकादशी तिथि का समापन – 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट को होगा. व्रत का पारणा – 15 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से सुबह 08 बजकर 55 मिनट के बीच है.
Amalaki Ekadashi Puja Vidhi
Amalaki Ekadashi वाले दिन प्रातःकाल में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। पूजन के लिए एक चौकी पर विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले जल, अक्षत, फूल अर्पित कर हल्दी का तिलक करें। भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित कर जया एकादशी व्रत की कथा का पठन या श्रवण करें।
पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें। अगर आपके घर के आस-पास आंवले का पेड़ नहीं हो तो घर पर ही पूजा के समय भगवान विष्णु को आंवला प्रसाद स्वरूप अर्पित करें। आंवले के पेड़ का या घर पर भगवान विष्णु का धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत, फूल आदि से पूजन करें। पूजन के बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
अगले दिन द्वादशी को स्नान कर भगवान विष्णु का फिर से पूजन करें और जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को कलश, कुछ वस्त्र और आंवला का दान दें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में अपना व्रत खोलें। पूजन के अंत में आरती करें। उसके बाद प्रसाद ग्रहण करके दिन भर यथाशक्ति व्रत रखें और व्रत का पारणा अगले दिन शुभ मुहूर्त में करें। इस एकादशी व्रत के दौरान विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Amalaki Ekadashi व्रत के दिन रखें विशेष ध्यान
इस दिन किसी भी प्रकार से तामसिक चीजों का सेवन ना करें। जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। एवं जो लोग एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, उन्हें इस दिन खासतौर पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी व्रत का पारणा द्वादशी समाप्त होने के बाद नहीं करना चाहिए। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो इस स्थिति में सूर्योदय के बाद व्रत का पारणा किया जा सकता है। द्वादशी तिथि पर प्रातः पूजन व ब्राह्मणों को भोजन कराने के पश्चात ही व्रत का पारणा करना चाहिए।
तो भक्तो यह थी Amalaki Ekadashi Puja Vidhi और उसके बारे में संपूर्ण जानकारी।