Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi ki Jankari

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Welcome to My Latest Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi ki Jankari Article. अपने आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आप सभी को छठ पूजा से जुडी कथा और पूजन विधि की पूरी जानकारी देने वाला हु. ताकि आप सभी लोग छठ पर्व को सही तरीके से बना सको.

Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi ki Jankari
Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi ki Jankari

हमारे हिन्दू धर्म में दीपावली का त्यौहार ख़त्म होने के 3 दिन के बाद Chhath पर्व बनाया जाता है. छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को बनाया जाता है. यह त्यौहार 3 दिन तक चलता है, छठ का पर्व मुख्य रूप से बिहार का पर्व है. लेकिन यह पर्व भारत के अन्य हिस्सों में भी बनाया जाता है. इस साल 2021 में 8 नवम्बर को नहाय खाय से छठ पूजा का आरम्भ किया जायेगा. 9 नवम्बर को खरना की पूजा होगी और 10 नम्बर को डूबते हुवे सूर्य देवता को अथ्य दिया जायेगा. फिर 11 नवम्बर को उगते हुवे जुराज को अध्य देकर इस पर्व का समापन होगा.

Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi ki Jankari

Chhath Pooja के बारे में बहुत सी ऐसी बाते है जिनके बारे में हम सभी को पता है. लेकिन Chhath Pooja के बारे में बहुत सी ऐसी बाते है जिनके बारे में हमू सभी लोगो को नहीं पता होता और हम इसके बारे में पता करना चाहते है. जैसे कि छठ पूजा क्या है यह क्यों बनाई जाती है और Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi क्या है. तो चलिए अब जानते है छठ पर्व से जुडी पूरी बाते.

Chhath Pooja ki शुरुवात कैसे हुई ?

जैसा कि आप सभी को मालूम है इस पर्व को बिहारियों का महापर्व कहा जाता है. Chhath Pooja से जुडी बहुत सी Chhath Pooja Katha मोजूद है. हर कहानी की अलग अलग मान्यता है हर कहानी में अलग अलग तरीके से बताया गया है कि यह पर्व कैसे शुरू हुवा. अपने इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको कुछ कहानिया बताने जा रहा हु.

Chhath Pooja Katha or Puja Vidhi

छठ पूजा से जुडी पहली कहानी इस प्रकार है. कहा जाता है 14 साल के बनवास के बाद जब श्रीराम और माता सीता अयोध्या लोटे थे तब उन्होंने रावण के वध के पाप से मुक्ति के लिए राज सूर्य यज्ञ का आयोजन किया था. और यज्ञ करने के लिए श्रीराम ने ऋषि मुगदल को बुलाया था. ऋषि में माता सीता पर गंगा जल छिडक कर उन्हें पवित्र किया. इसी के साथ ऋषि ने आदेश दिया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य की उपासना करनी होगी. ऋषि के कहने के अनुसार माता सीता ने 6 दिन तक सूर्य देव की उपासना की तब ही से यह छठ पर्व बनाया जाता है.

छठ पूजा से जुडी दूसरी कथा के अनुसार राजा प्रिवंत की कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने ऋषि कश्यप के माध्यम से यज्ञ का आयोजन किया और अपनी पत्नी मालती को पुत्र प्राप्ति के लिए आहुति के लिए बनी खीर दी. खीर को खाने मालती को बेटा हुआ लेकिन वो मारा हुवा पैदा हुवा. रजा अपने बेटे लो लेकर शमशान गये और विलाप करने लगे साथ ही अपने प्राण त्यागने की कोशिस करने लगे.

ठीक उसी समय वहा भगवान का मानस पुत्री देवसेना आई और उन्होंने रजा से कहा की वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश में पैदा हुयी है. इस कर्ण उन्हें सृष्टि बोला जाता है. रजा ने पुत्र प्राप्ति की इक्झा से देवी सृष्टि का व्रत किया और ऐसा करने से उनकी पत्नी को पुत्र की प्राप्ति हुई. तब ही से छठ पूजा का आयोजन किया जाता है.

छठ पूजा का महत्व ?

हमारे देश में छठ पूजा का महत्व बहुत ज्यादा है. छठ पूजा को लेकर मान्यता यह है की जो इस व्रत को पूरी श्रधा के साथ करने से निसंतान स्त्री को संतान की प्राप्ति होती है. देशभर में बनाया जाने वाला यह पर्व सूर्य, प्रकर्ति ,जल और वायु को समर्पित है. छठ पूजा को लेकर यह भी बोला जाता है जो इस व्रत को करता है उसकी संतान के जीवन में तरक्की और खुशहाली आती है.

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