Kya aap Vrat Rakhne ke Niyam ki Jankari प्राप्त करना चाहते है. तो मेरा आज का यह आर्टिकल उन सभी भक्तो के लिए है जो व्रत रखते है और व्रत रखने के क्या नियम होते है इसकी जानकारी प्राप्त करना चाहते है. इस आर्टिकल के द्वारा आपको Vrat Rakhne ke Niyam Kya Hai इस से जुडी सभी जानकारी प्राप्त होगी.
हमारे हिन्दू धर्म में बहुत सी ऐसी Pooja है बहुत से ऐसे Vrat है जो हम अपने जीवन काल में जरुर करते है. क्युकी जितने भी हमारे हिन्दू धर्म में व्रत है उन व्रत को करने से किसी न किसी तरह का फल हम लोगो को जरुर मिलता है. और व्रत करने का फल हम सभी को तब ही मिलता है जब हम लोग पुरे नियम से उस व्रत को करते है.
अगर हम लोग अपने जीवन काल में सही तरीके से व्रत को पुरे नियम के साथ करते है तो हम सभी को उसका फल जरुर मिलता है. अपने आज के इस आर्टिकल के द्वारा हम सभी लोग Vrat Rakhne ke Niyam की जानकारी प्राप्त करेंगे ताकि हम सभी लोग सही तरीके से व्रत कर सके. और उस व्रत का फल भी प्राप्त कर सके.
Vrat Rakhne का महात्म्य क्या है?
Vrat Rakhne ke Niyam :- उपवास या व्रत धारण करने वाला मनुष्य सभी विषयों से निवृत्त हो जाता है। वेदों के अनुसार व्रत और उपवास के नियम पालन से शरीर को तपाना ही तप है। इस प्रकार देखें तो ज्ञात होता है कि मानव जीवन को सफल बनाने में व्रतों का महत्वपूर्ण योगदान है। व्रतों को नियमपूर्वक करने से व्यक्ति को जीवन में लौकिक और पारलौकिक लाभ व अनुभव प्राप्त होते हैं।
Vrat Rakhne ke Niyam :- वस्तुतः व्रत के प्रभाव से मनुष्य की आत्मा, बुद्धि व विचार शुद्ध होते हैं। संकल्प शक्ति बढ़ती है। शरीर के अंतःस्थल में परमात्मा के प्रति भक्ति, श्रद्धा और तल्लीनता का संचार होता है। पारिवारिक कार्यों के साथ-साथ नौकरी, व्यापार एवं कला-कौशल आदि का सफलतापूर्वक संपादन किया जा सकता है, इसलिए व्रत नियमपूर्वक करना चाहिए। व्रतों में कम प्रयास से अधिक फलों की प्राप्ति होती है एवं इसी लोक में रहते हुए सभी पुण्य फल प्राप्त हो जाते हैं।
Vrat Rakhne ke Niyam – व्रत के प्रकार
आइये अब समझते है व्रत कितने प्रकार के होते है व्रत तिन प्रकार के होते है.
1. नित्य 2. नैमित्तिक 3. काम्य
नित्यव्रत भगवान की प्रसन्नता के लिए निरंतर कर्तव्य भाव से किए जाते हैं। किसी निमित्त से किए जाने वाले व्रत नैमित्तिक व्रत कहलाते हैं और किसी विशेष कामना हेतु किए जाने वाले व्रत काम्य कहे जाते हैं। नित्य, काम्य और नैमित्तिक व्रतों के अलावा और भी अनेक प्रकार के व्रत रखे जाते हैं। जिनके विधि-विधान अलग हैं।
Vrat Rakhne ke Niyam Kya Hai
1- व्रत के दिन सात्विक आहार ही लें, ताकि शरीर हल्का रहे। बासी, गरिष्ठ, कब्ज बढ़ाने वाले, तले हुए, प्याज युक्त भोजन, मांस-मदिरा, अंडे, लहसुन आदि का सेवन बिल्कुल न करें।
2- संकल्प के बिना व्रत अधूरा है। कितनी संख्या में और कब तक व्रत करना है, इसका संकल्प व्रत प्रारंभ करने के पूर्व कर लेना चाहिए।
3- व्रत शुभ मुहूर्त में आरंभ करें ताकि यह निर्विघ्नतापूर्वक पूर्ण हो सके। व्रत के दिन क्रोध एवं निंदा आदि न करें। ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य रूप से करें। बड़े बुजुर्ग, माता-पिता व गुरुजनों के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लें।
4- व्रत के बीच में मृत्यु या जन्म का सूतक आने पर व्रत पुनः शुरू से प्रारंभ करना चाहिए। यदि स्त्री व्रत के बीच में रजस्वला हो जाए तो उस दिन के व्रत की संख्या न ले। ऐसे में व्रत करें, पूजन न करें।
5- व्रत पूर्ण होने पर उसका शास्त्रानुसार हवनादि के द्वारा उद्यापन किए बिना व्रत का फल नहीं मिलता।
6- क्षमा, सत्य, दया, दान, शौच, इंद्रिय-निग्रह, देव पूजा, अग्नि हवन संतोष आदि का पालन करना किसी भी व्रत के लिए अनिवार्य है, ऐसा शास्त्रकारों ने कहा है।
7-यदि किसी व्रत में किसी भी देवता की पूजा न हो तो अपने इष्ट देव का स्मरण करें। व्रत के दिन देवताओं के साथ अपने पूर्वजों व पितृगणों का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इससे व्रत सिद्धि होती है।
8- यदि किसी कारण व्रत बिगड़ जाए, छूट जाए व्रत के दिन कोई शास्त्र विरुद्ध कर्म हो जाए पहले व्रत के लिए प्रायश्चित करें, फिर व्रतारंभ कर।