Sawan Shivratri से जुडी सभी जानकारी. सावन के इस शुभ अवसर मैं मेरा ये आर्टिकल Sawan Shivratri से जुडी सभी जानकारी का है. जिसमे आपको Sawan Shivratri की सभी जानकारी मिलेगी.
हिंदू धर्म में शिव और शक्ति के संगम के पर्व को शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वहीं शिवरात्रि का अर्थ शिव की रात्रि से है। इसलिए मासिक शिवरात्रि की रात को शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं शिवजी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्य रात्रि में अवतरित हुए थे। इसके कारण इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है।
Sawan Shivratri से जुडी सभी जानकारी
Sawan Shivratri – मान्यता है कि हर माह आने वाली मासिक शिवरात्रि के व्रत को अगर पूरे विधि विधान से सम्पन्न किया जाए तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि की भी वृद्धि होती है। इसके अलावा ये व्रत उन लोगों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है जो लोग अपनी शादी में आ रही अड़चनों से परेशान रहते हैं।
आपको बता दें श्रावण माह में शिवरात्रि का व्रत 26 जुलाई 2022 को किया जाएगा। जिसका आरंभ 26 जुलाई 2022 को शाम में 06:46 मिनट से शुरू होगा। वहीं इसका समापन 27 जुलाई 2022 को रात में 9 बजकर 11 मिनट पर होगा।
आइए, अब जानते हैं Sawan Shivratri के दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किन उपायों को अपनाना चाहिए साथ ही इस दिन किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
कहते हैं भगवान शिव को नंदी से बड़ा ही लगाव है। इसलिए अगर इस दिन भगवान शिव की सवारी नंदी यानी बैल को हरा चारा खिलाते हैं जो जीवन में सुख समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है। मान्यता ये भी है कि भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं।
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तो अगर कोई व्यक्ति शनि दोष से पीड़ित हैं या शनि की ढैया या साढ़ेसाती के बुरे फल की प्राप्ति हो रही है। ऐसे में शिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें। साथ ही ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से शिवजी के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।
वहीं संतान संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इससे संतान संबंधी समस्याओं से निजात मिलता है। इसके अलावा व्यक्ति के मान-प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
कहा जाता है कि Sawan Shivratri के दिन अगर भगवान भोलेनाथ को गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करें तो वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। साथ ही जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही है उन्हें इस दिन ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
ऐसा करने से उन्हें अपनी समस्याओं में काफी हद तक राहत मिलती है। इसके अलावा जो लोग इस दिन उपवास रख रहे हैं वो लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वो देर तक ना सोएं और भूलकर भी शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा ना करें।
अब बात करते है मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि की. क्युकी इस दिन व्रत के साथ साथ सही तरीके से पूजा करना भी बहुत ज्यादा जरुरी है.
Sawan Shivratri – मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत पूरे विधि विधान के साथ पूर्ण करते हैं उन पर भगवान शिव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। हम आपको मासिक शिवरात्रि की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। जिसका पालन कर आप अपने जीवन में सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं।
तो आइए, जानते हैं Sawan Shivratri के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कैसे करें।
सबसे पहले बता दें कि मासिक शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिवजी की पूजा अर्धरात्रि में की जाती है। इसके लिए शिव भक्तों को मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए और नित्यकर्म से निवृत्त होकर, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए। सुबह सभी दैनिक क्रियाकलापों से मुक्त होने के बाद व्यक्ति को भगवान सत्यनारायण का नाम लेकर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
साथ ही पीपल और तुलसी के पेड़ में भी जल अर्पित करना चाहिए। फिर उपासक को भगवान का नाम लेकर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भक्त पूरी श्रद्धा के साथ दिन भर व्रत का पालन करना चाहिए। फिर अर्धरात्रि को भगवान की पूजा अर्चना शुरू करनी चाहिए।
पूजा शुरू करने से पहले दूध, पानी और गंगाजल के साथ रौली-मौली, दूध, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा, सृजन के पुष्प, फल, मिठाई पुष्प आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। फिर रात्रि के समय शुभ मुहूर्त पर भगवान भोले नाथ की मूर्ति अर्थात शिवलिंग को दूध, पानी व गंगाजल से स्नान कराएं।
भगवान शिवजी के महामंत्र ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए प्रभु को दूध, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा, सृजन के पुष्प, आदि से अभिषेक करें। इसके बाद चंदन से भगवान शिव का तिलक करें। अब धूप दीप जलाकर मिठाई और फल का भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं। फिर अंत में उनकी आरती करें। मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले उपासक व्रत का पारणा अगले दिन करें।
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