Day 5 Maa Skandmata देवी स्कंदमाता महिमा और आरती
Day 4 Maa Skandmata -देवी स्कंदमाता महिमा और आरती। मेरा आज का ये आर्टिकल Maa Skandmata देवी स्कंदमाता महिमा और आरती से जुड़ा है। जिसके माध्यम से मैं आप सभी को नवरात्रों के सुभ अवसर पर नवरात्रों पर पूजने वाली सभी देवियों के बारे में विस्तार से बताऊंगा। ताकि आप लोग सही तरीके से नवरात्री के पर्व को बना सको।
ॐ भूर्भुवः स्वः स्कन्दमातः इहागच्छ इहतिष्ठ। स्कन्दमाते नमः । स्कन्दमातरमावाहयामि स्थापयामि नमः । पाद्यादि पूजनम्बिधाय ।। चण्डवीरां चण्डमायां चण्डमुण्ड प्रभंजनीम् ।। तां नमामि देवेशीं चण्डिकां पूजयाम्यहम्।।
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार नवरात्री में भगवती दुर्गा माता की पूजा का स्रेस्ट समय होता है। नवरात्रों के पावन दिनों में हर दिन अलग अलग देवी के रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नो रूप होते हैं दुर्गा जी पाचवे स्वरूप में Maa Skandmata के नाम से जानी जाती है। यही नवदुर्गा में पाचवी दुर्गा है। नवरात्रों के दिन हमे सही तरीके से पूजा करनी चाहिए। ताकि हुए उस पूजा का सही फल प्राप्त हो सके।
अपने आज के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आप सभी को नवरात्री वाले दुसरे दिन पूजने वाली देवी Maa Skandmata की जानकारी देने वाला हु। ताकि आप नवरात्री के पाचवे दिन पूजने वाली Maa Skandmata की पूजा सही तरीके से कर सको। अपने इस आर्टिकल के द्वारा में आप सभी को माँ स्कंदमाता की जानकारी देने वाला हु। अगर आपको नवरात्रों पूजा की पूरी जानकारी चाहिए तो आप यहाँ क्लिक करके मेरी पोस्ट देख सकते है। अपनी पोस्ट के अन्दर मैं विस्तार से पूजा के बारे में सब कुछ बताया हुवा है।
माता दुर्गा का स्वरूप स्कंदमाता के रूप में नवरात्रि के पांचवे दिन पूजा की जाती है। शैलपुत्री ने ब्रह्मचारिणी बनकर तपस्या करने के बाद भगवान शिव से विवाह किया। तदुपरांत स्कंद उनके पुत्र रूप में उत्पन्न हुए। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाने जाते हैं। रणबीर श्रुति के अनुसार माता होने से वे स्कंदमाता कहलाती हैं।
स्कंदमाता की दाहिनी भुजा में कमल पुष्प, बाई भुजा पर वरमुद्रा में है इनकी तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। वर्ण पूर्णत: शुभ कमलासन पर विराजित और सिंह इनका वाहन है। इसी कारण इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है पुत्र स्कंद इनकी गोद में बैठे हैं।
मां स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की सभी समस्या समाप्त हो जाती है. इस म्य्तुलोक में ही उन्हें परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज क्रांति से संपन्न हो जाता है। साधक को अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति होती है। और उसे पुण्य मिलता है ऐश्वर्या मिलता है।
Maa Skandmata स्लोक
सिंहासनगता नित्यं पदमाश्रितकरद्वया । शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।
Maa Skandmata Aarti
जी तेरी हो स्कंदमाता। पांचवा नाम तुम्हाराआता ।। सब की मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी।। तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं।। कई नामों में तुझे पुकारा । मुझे एक है तेरा सहारा।। कहीं पहाड़ों पर है डेरा। कहीं शहरों में तेरा बसेरा।। हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।। भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।। इंद्र आदि देवता मिल सारे। कहे पुकार तुम्हारे द्वारे।। दुष्ट देत्य जब चढ़कर आए। तू ही खंडा हाथ उठाए।। दसों का सदा बचाने आई। भक्तों की आस पुजाने आई।।
उपर मैंने आपको विस्तार से Day 1 Maa Skandmata -देवी स्कंदमाता महिमा और आरती के बारे में बताया है। इसके साथ ही मैंने आपको Maa Skandmata Puja Mantra भी दिया है। ताकि आप लोग बिलकुल सही तरीके से नवरात्री वाले दिन सभी नो देवियों की पूजा पाठ सही तरीके से कर सको। मेरी इसी वेबसाइट पर आपको सभी नो देवियों की पूजा पाठ से जुडी पूरी जानकारी विस्तार से मिल जाएगी। और अगर आपको ये जानकारी पसंद आये तो इस वेबसाइट को अपने दोस्तों के बिच जरुर शेयर करिए।