Kya aap Pradosh Vrat Kaise Kare ki Jankari Hindi Me प्राप्त करना चाहते है. तो मेरा आज का यह आर्टिकल अपप लोगो के लिए. अपने आज के इस आर्टिकल के द्वारा हम लोग Prodosh Vert की पूरी जानकारी हिंदी में प्राप्त करेंगे.
हमारे हिन्दू धर्म में ऐसे बहुत से वर्त है जिन्हें करने से हमारी बहुत सी मनोकामनाए पूरी हो जाती है. पुरे मन और सच्ची भक्ति से किया गया वर्त निश्चित ही फलदायी होता है. हिन्दू धर्म में बहुत से ऐसे वर्त है जिन्हें करने से हमे लाभ प्राप्त होता है. एक ऐसा ही वर्त है Pradosh Vrat. प्रदोष वर्त का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है.
Pradosh Vrat Kaise Kare Jankari Hindi Me
Pradosh Vrat भगवान् शिव की प्रशंसा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है. भगवान शिव को आशुतोष के नाम से भी जाना जाता है. जिसका अर्थ है जल्दी प्रशन्न होकर आशीर्वाद देने वाले. Pradosh Vrat को श्रद्धा और भक्ति भाव से करने पर शिवजी की विशेष क्रप्या प्राप्त होती है.
प्रदोष वर्त हर महीने त्रयोदशी तिधि को होता है. हिन्दू धर्म के सभी पंचांगों में प्रदोष वर्त की तारीख का उल्लेख किया जाता है. दिनों के अनुसार प्रदोष वर्त के महत्व में और जादा वृधि हो जाती है. जैसे सोंमवार को होने वाला प्रदोष वर्त सोम- प्रदोष वर्त, मंगलवार के दिन होने वाला प्रदोष वर्त भोम- प्रदोष वर्त के नाम से जाना जाता है. इन दिनों में होने वाला प्रदोष वर्त विशेष लाभदायी होता है.
Pradosh Vrat Kaise Kare
प्रदोष वर्त के दिन सुबह स्नानं करने के बाद भगवान शिव का पूजन करना चाहिए. प्रदोष वर्त में प्रदोषकाल का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत वाले दिन प्रदोषकाल में ही शिव की पूजा संपन होना जरुरी है. शास्त्र के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त से 2 घंटे और 48 मिनट तक रहता है.
पांच Pradosh Vrat का महत्व
रविवार प्रदोष व्रत – रविवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत बोला जाता है. इस दिन का व्रत लम्बी आयु और आरोग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है. रवि प्रदोष व्रत करने से आरोग्य और अच्छे स्वस्थ की प्राप्ति होती है.
सोमवार प्रदोष व्रत – सोमवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष बोला जाता है. इस दिन का व्रत विशेष कार्य सिद्ध करने के लिए किया जाता है. सोम प्रदोष व्रत करने से रुके कार्य पुरे होते है.
मंगलवार प्रदोष व्रत – मंगलवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को भोम व्रत बोला जाता है. इस दिन का व्रत ऋण मुक्ति के लिए किया जाता है. रवि प्रदोष व्रत करने से ऋण और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है.
गुरुवार प्रदोष व्रत – गुरूवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को गुरु व्रत बोला जाता है. यह व्रत विशेषकर स्त्रियो के लिए होता है. यह व्रत पारिवारिक सुख, पति सुख और सोभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है.
शनिवार प्रदोष व्रत – शनिवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष बोला जाता है. इस दिन का व्रत संतान की प्राप्ति और संतान की सुख शांति के लिए किया जाता है. शनि व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
हमारे ग्रंथो में किसी भी व्रत को शुरू करने की तिथि, महिना और मुहूर्त का पूरा उल्लेख मिलता है. शास्त्र के अनुसार प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पझ की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है. श्रावण और कार्तिक मास प्रदोष व्रत को शुरू करने के लिए सबसे अच्छा मन जाता है. इसकी पूरी जानकारी आपको पंचांग में भी मिल जाती है.