Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari

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Welcome to My Latest Vijaya Ekadashi Vart Katha Article. आप में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने Vijaya Ekadashi Vart रखा होगा. और अब वो Vijaya Ekadashi Vart रखने की कथा के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है. ताकि उन्हें पता चल सके Vijaya Ekadashi Vart क्यों रखा जाता है. तो मेरा आज का ये आर्टिकल Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari से जुड़ा है.

Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari
Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari

Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari प्राप्त करने से पहले हम सभी लोग विजया एकादशी व्रत की जानकारी प्राप्त कर लेते है. इस साल विजया एकादशी तिथि का प्रारम्भ 26 फरवरी दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा और विजया एकादशी तिथि का समापन अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 12 मिनट को होगा । पारणा का समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 6 बजकर 48 मिनट से 9 बजकर 6 मिनट के बीच है.

Vijaya Ekadashi Vart की पूरी जानकारी आपको मेरे उस आर्टिकल में मिल जाएगी जिसे मैंने अपनी इसी वेबसाइट पर प्लुब्लिश किया हुवा है. अगर आप भी Vijaya Ekadashi Vart की पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप यहाँ क्लिक करके मेरे उस आर्टिकल को देख सकते है . जिसमे मैंने Vijaya Ekadashi Vart की पूरी जानकारी दी हुई है.

जैसा कि आप सभी को महुम ही है हमारे हिन्दू धर्म में जितने भी व्रत और त्यौहार होते है उनके पीछे कोई ना कोई कथा होती है. बिना कथा कहानी के अमरे हिन्दू धर्म में व्रत अधूरे से लगते है. तो अपनी इस पोस्ट के माध्यम से मैं आप सभी को Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari देने वाला हु. ताकि आप सभी को इस व्रत की पूरी जानकारी प्राप्त हो सके.

Vijaya Ekadashi Vart Katha ki Jankari


शास्त्रों के अनुसार अगर कोई इंसान व्रत नहीं कर पाता है और वह उस व्रत की कथा को सुन लेता है तो उसे उस व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। तो दोस्तों आज हम सुननें वाले है विजया एकादशी व्रत की कथा जो कि व्रत करने वाले को और कथा सुननें वाले को शत्रु से विजय दिलाती है। तो आइए सुनते है विजया एकादशी व्रत की कथा।

पौराणिक कथा के अनुसार, रामायण काल में जब भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण सहित वनवास काट रहे थे। तब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था। जिससे भगवान श्रीराम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हो गए थे। फिर उनकी मुलाकात, हनुमान जी की मदद से सुग्रीव से हुई और वे वानर सेना की मदद से रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र के तट पर पहुंचे।

लेकिन लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए क्योंकि उनके सामने विशाल समुद्र जैसी चुनौती थी। उनको कुछ उपाय नहीं सूझ रहा था। अंत में उन्होंने समुद्र से ही लंका पर चढ़ाई करने के लिए मार्ग मांगा, लेकिन वे असफल रहे। फिर उन्होंने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा। तब उन्होंने श्रीराम को अपनी वानर सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया।

ऋषि-मुनियों ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है। ऋषि-मुनियों की बातें सुनकर भगवान श्रीराम ने फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वानर सेना के साथ विजया एकादशी व्रत किया और विधि विधान से पूजा की।

शास्त्रों के अनुसार विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से ही उनको समुद्र से लंका जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। विजया एकादशी व्रत के पुण्य से श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तब से ही विजया एकादशी व्रत का महत्व और बढ़ गया। आम जनमास में विजया एकादशी व्रत प्रसिद्ध हो गया। लोग अपने किसी कार्य की सफलता के लिए विजया एकादशी व्रत करने लगे।

तो ये थी Vijaya Ekadashi Vart Katha जिसे पढने के बाद आप सभी को Vijaya Ekadashi Vart Katha के बारे में पता चल गया होगा.

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